गन्ने की औसत पैदावार लगातार घटती जा रही है। जिस के कारण गन्ने का रकबा तेजी से घट रहा है। गन्ने के दाम, चीनी मिलों द्वारा भुगतान व देर से मिलों में पेराई करने जैसी वजहें गन्ने की खेती में पलीता लगाने का काम कर रही है। गन्ने की उपज में ठहराव आ गया है। इन सब बातों से गन्ने की खेती के प्रति किसानों का रुझान धीरे-धीरे कम हो रहा है या कहें कि किसानों का गन्ने से मोह भंग हो रहा है।
किसान को लागत के मुताबिक गन्ने की अच्छी पैदावार नहीं मिल रही है। एक ही इलाके में एक खेत से ज्यादा पैदावार और बराबर के खेत से कम पैदावार देखने को मिल रही है। इस तरह खेतों से पैदावार में एक समानता नहीं है। जिस से लागत बढ़ रही है और किसानों की आमदनी घट रही है।
बढ़ते परिवारों के कारण खेतों की जोत घट रही है और खेती से पुराने तजरबेकार किसान कम हो कर नए नए लोगों का खेती में आना हो रहा है। यह कहने में कोई हर्ज नहीं होगा कि अब लोग बेमन से खेती की ओर आ रहे हैं। वे खेतों में दिमाग नहीं दौड़ाते, बस लकीर पीटते हैं। इस से खेती की ओर आ रहे हैं। वे खेतों में दिमाग नहीं दौड़ाते, बस लकीर पीटते हैं। इस से खेती और उस के कामों की जानकारी और रुचि कम होने लगी है। तेजी से बढ़ती आबादी और बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए खेती की पुरानी तकनीकों में नया बदलाव करना समय की मांग है।
गन्ने की अकेली फसल न ले कर उस के साथ कम समय में पकने वाली कोई भी फसल लेना आज की जरूरत बन गई है।
आज के समय में गन्ने की बोआई में पुराने व परंपरागत विधियों की जगह नई उन्नत तकनीकें अपनाकर गन्ने के साथ में एक ही खेतों में एक से ज्यादा फसलें ले कर आमदनी बढ़ाई जा सकती है।
यहां गन्ना बोआई की कुछ नई तकनीकों पर चर्चा की जा रही है।
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