- उनाकोटी मंदिर पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े रहस्यों में शामिल
- यहां कुल 99 लाख 99 हजार 999 पत्थर की मूर्तियां हैं
- उनाकोटी का अर्थ होता है करोड़ में एक कम
अगरतला 02 फरवरी (एजेंसी) त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से तकरीबन 145 किलोमीटर दूरी पर स्थित उनाकोटी मंदिर पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े रहस्यों में शामिल किया जाता है। बता दे कि यह स्थान काफी सालों तक अज्ञात रूप में यहां मौजूद रहा है जबकि आज भी बहुत लोग इस स्थान का नाम तक नहीं जानते हैं। उनाकोटी जितना अद्भुत है उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प इसका इतिहास है। बता दे कि यहां कुल 99 लाख 99 हजार 999 पत्थर की मूर्तियां हैं, जिनके रहस्यों को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है। जैसे कि ये मूर्तियां किसने बनाई, कब बनाई और क्यों बनाई और सबसे जरूरी कि एक करोड़ में एक कम ही क्यों? उनाकोटि की सबसे खास बात यहां मौजूद असंख्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जो इस स्थान को सबसे अलग बनाने का काम करती हैं। यह एक पहाड़ी इलाका है जो दूर-दूर तक घने जंगलों और दलदली इलाकों से भरा है। उनाकोटि लंबे समय से शोध का बड़ा विषय बना हुआ है, क्योंकि इस तरह जंगल की बीच जहां आसपास कोई बसावट नहीं एक साथ इतनी मूर्तियों का निर्माण कैसे संभव हो पाया।
उनाकोटि में दो तरह की मूर्तियों मिलती हैं, एक पत्थरों को काट कर बनाई गईं मूर्तियां और दूसरी पत्थरों पर उकेरी गईं मूर्तियां। इस स्थान के मध्य में भगवान शिव के एक विशाल प्रतिमा मौजूद है, जिन्हें उनाकोटेश्वर के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की यह मूर्ति लगभग 30 फीट ऊंची बनी हुई है। इसके अलावा भगवान शिव की विशाल प्रतिमा का साथ दो अन्य मूर्तियां भी मौजूद हैं, जिनमें से एक मां दुर्गा की मूर्ति है। साथ ही यहां तीन नंदी मूर्तियां भी दिखीं हैं। इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, जो हैरान करने वाली हैं। जानकारों का मानना है कि इन मूर्तियों का निर्माण कभी किसी कालू नाम से शिल्पकार ने किया था। माना जाता है कि यहां कालू शिल्पकार भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत जाना जाता था, लेकिन यह मुमकिन नहीं था। शिल्पकार की जाने की जिद्द के कारण यह शर्त रखी गई कि अगर वो एक रात में एक करोड़ (एक कोटि) मूर्तियों का निर्माण कर देगा तो वो भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश जा पाएगा। यह बात सुनते ही शिल्पकार काम में जुट गया, उसने पूरी रात मूर्तियां का निर्माण किया। लेकिन सुबह जब गिनती हुई तो पता चला उसमें एक मूर्ति कम है यानी एक कम 1 कोटी मूर्ति ही बन पाईं और इस तरह वो शिल्पकार धरती पर ही रह गया।
रहस्यमयी मूर्तियों के कारण ही इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है, जिसका अर्थ होता है करोड़ में एक कम। इस स्थान के मुख्य आकर्षणों में भगवान गणेश की अद्भुत मूर्तियां भी हैं, जिसमें गणेश की चार भुजाएं और बाहर की तरफ निकले तीन दांत को दर्शाया गया है। भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति बहुत ही कम देखी गई है। इसके अलावा यहां भगवान गणेश की चार दांत और आठ भुजाओं वाली दो और मूर्तियां भी हैं। इन अद्भुत मुर्तियों के कारण यह स्थान काफी काफी रोमांच पैदा करता है। आसपास के लोग यहां आकर इन मूर्तियों की पूजा भी करते हैं। यहां हर साल अप्रैल महीने के दौरान अशोकाष्टमी मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं। इसके अलाव यहां जनवरी के महीने में एक और छोटे त्योहार का आयोजन किया जाता है। यह स्थान अब एक प्रसिद्ध पर्यटन गंतव्य बन चुका है। यहां की अद्भुत मूर्तियों को देखने के लिए अब देश-विदेश के लोग आते हैं। त्रिपुरा के बड़े शहरों से यहां तक के लिए बस सेवा उपलब्ध है। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा अगरतला/कमलपुर एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप कुमारघाट रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।