मेरठ के किसानो को आडू के मंडी में न पहुँचने के चलते नुकसान का डर सताने लगा है
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यदि जल्द ही न पहुँचाया गया माल मंडी में तो पूरी फसल हो सकती है बर्बाद
इस सम्बन्ध में यूपी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र
मेरठ, 27 अप्रैल (एजेंसी)। देशव्यापी लॉकडाउन का असर अब किसानों पर भी देखने को मिल रहा है । सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मेरठ में आड़ू किसानों के सिर पर भारी नुकसान की चिंता सताने लगी है जिसका कारण आड़ू की फसल को मंडियों तक न पहुंचा पाना हैं। वैसे तो मेरठ को गन्ने और आम की खेती के लिए जाना जाता है, परन्तु कम ही लोग जानते है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह इलाका आड़ू के लिए भी उतना ही मशहूर हैं ।
भारतीय किसान संघ के क्षेत्रीय सचिव चौधरी जगदेव सिंह ने कहा कि मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने सब्जियों, आम और गन्ने के साथ आड़ू की बड़े पैमाने पर खेती की है। क्षेत्र के दो हजार से अधिक किसान हर साल आड़ू उगाते हैं। इनके उत्पादन का बड़ा हिस्सा दिल्ली की आजादपुर सहित दूसरी मंडियों में जाता है।
उन्होंने कहा कि बंद की वजह से आवाजाही पर रोक है। ऐसे में आड़ू की फसल पेड़ों पर ही सड़ने लगी है। आड़ू जल्द खराब होने वाली फसल है। यदि फसल तैयार होने के 15 दिन के अंदर इसे मंडी नहीं पहुंचाया तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। फल पककर पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं। लेकिन किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत फसल को मंडी तक पहुंचाने की है।
इस बारे में स्थानीय नेता और प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री मंत्री एवं आम उत्पादक संघ के अध्यक्ष डॉ. मैराजुददीन का कहना है कि सरकार को किसानों के आड़ू तत्काल मंडियों तक पहुंचाने का प्रबंध करना चाहिए, नहीं तो इसके किसान बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि खाने के अलावा आड़ू का प्रसंस्करण करके जैम, जूस, जैली, केक और अन्य कई पेय पदार्थ बनाए जाते हैं। लेकिन बंद के चलते प्रसंस्करण इकाइयां भी बंद हैं।