समय के साथ साथ कई बदलाव देखने को मिलते है जैसे अब छोटे निवेशक भी डेट फंड में बेझिझक निवेश कर रहे हैं । देखा जाए तो डेट स्कीमें डेट सिक्युरिटीज में निवेश करने का काम करती हैं, जिनमे सरकारी और कॉर्पोरेट प्रतिभूतियां शामिल होती हैं। इस तरह की स्कीमों में अधिकांशत: क्युरिटीज के कूपन यानी कि यील्ड-टू-मैच्योरिटी से होती है। कुछ समय पूर्व ही सेबी ने डेट स्कीमों को पोर्टफोलियो के आधार पर कैटेगराइज किया है जिसमे क्रेडिट रिस्क एक प्रमुख कैटेगरी है।
पोर्टफोलियो का न्यूनतम 65% क्रेडिट रिस्क फंड अनिवार्य रूप से उन कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करना पसंद करते है जो एए और उससे नीचे के रेटिंग में चल रहे होते हैं अर्थात जो लोग ज्यादा जोखिम लेते है ये उनके लिए यह स्कीम मुख्य रूप से कम रेटिंग वाले पेपरों में निवेश करती हैं। इतना ही नहीं यदि क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड ग्रस्त या डिफॉल्ट जैसी घटना न हो तो अन्य डेट स्कीमों की तुलना में यह स्कीम बेहतर रिटर्न देती है ।
चूँकि क्रेडिट रिस्क फंड में छोटे निवेशकों के लिए व्यक्तिगत स्तर पर ही जोखिम होता है अत: व्यक्तिगत डेट पोर्टफोलियो में क्रेडिट रिस्क फंड में निवेश कोर एलोकेशन के रूप में कभी नहीं होना चाहिए। निवेशक को क्रेडिट रिस्क फंड और अन्य डेट फंड का उपयोग करना चाहिए।