जगमग जगमग जोत जली है, मोहन आरती होन लगी है
Jag Mag Jag Mag jyote jali hain Mohan Aarti Hon Lagi Hai
जगमग जगमग जोत जली है, मोहन आरती होन लगी है।
पर्वत खोली का सिंहासन, जाह पे मोहन लाते आसन।।
वो मंदिर में देते भाषण, कला मोहन की बोहोत बड़ी है।।
मोहन आरती होने लगी है।
जगमग जगमग ……
मोहन दया जीवों पे करना, हम बालक हैं तेरी शरणा।
काली खोली कला जगी है, मोहन आरती होने लगी है।।
जगमग जगमग ……
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यहाँ पे मन सब राखियों सच्चा, चाहे बूढ़ा चाहे बच्चा।
मोहन राम ने विपत हरी हैं, मोहन आरती होने लगी है।।
जगमग जगमग ……
प्रेम से मिलकर शक्कर बाटों, बाबा जी का जोहड़ छांटो।
मोहन राम से लगन लगी हैं। मोहन आरती होन लगी हैं।।
जजगमग जगमग ……
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