भारत में यूं तो कई त्यौहार मनाये जाते हैं, मगर होली की कुछ बात ही अलग है, इस दिन लोग आपस के बैर भुलाकर एकदूसरे को गले लगाते हैं। होली को भारत के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरह से मनाया जाता है, जैसे उत्तर प्रदेश की लठमार होली, उत्तराखंड की बैठकी होली, पंजाब की होला मोहल्ला और राजस्थान की माली होली इत्यादि । मगर काशी में मनाये जाने वाली होली इन सभी होलियों से भिन्न है । यहाँ होली के दिन बाबा विश्वनाथ और देवी पार्वती का गौना कराया जाता है, बाबा की पालकी निकाली जाती है और वहां के लोग पालकी वालों के साथ होली मनाते हैं। मगर इसके दूसरे दिन औघड़ रूप में बाबा महाश्मशान पर जलती चिताओं के बीच चिता-भस्म की होली खेलते हैं, जिसके चलते लोग डमरुओं को बजाते हैं और ‘हर हर महादेव’ का जयकारा लगते हुए एक दुसरे को भस्म लगाते हैं।
प्रति वर्ष यहाँ ऐसा ही होता है, यहाँ के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर वहां के लोगों ने बाबा मशान नाथ को विधिवत भस्म, अबीर, गुलाल और रंग अर्पित कर बाबा की आरती की | यहाँ आरती के साथ साथ डमरू बजाये जाते हैं, ये नज़ारा बहुत ही भव्य होता है । बाबा की आरती के बाद यहाँ मौजूद लोगो की टोलीयाँ चिताओं के बीच में आकर चिता की भस्म से होली खेलने लगते है और होली खेलते हुए वो हर हर महादेव का जयकारा लगाते रहते है । स्थानीय लोगो के अनुसार यहाँ बाबा खुद औघड़दानी बनकर होली खेलने आते हैं और सिर्फ इतना ही नहीं मुक्ति का तारक मंत्र देकर यहाँ मौजूद सभी लोगो को तारते हैं।
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यदि इस होली के आयोजक समिति के प्रमुख गुलशन कपूर की बात माने तो वो कहते है कि यह परंपरा कोई आज की नहीं है, ये तो प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसके चलते मशान नाथ मंदिर में होली के दिन घंटे और डमरुओं की आवाज़ के बीच औघड़दानी रूप में विराजे बाबा की आरती की जाती है। स्थानीय लोगों के अनुसार होली के एक दिन बाद मशान नाथ अपने भक्तों के साथ होली खेलने के लिए स्वयं यहाँ आते हैं।
मान्यतानुसार मणिकर्णिका घाट पर जिसका भी दाह संस्कार किया जाता है बाबा स्वयं उन्हें मुक्ति प्रदान करते है। किशोर मिश्रा, जो यहाँ के तीर्थ पुरोहित है, के अनुसार बाबा की इस नगरी में जो भी प्राण त्यागता है वो प्राणी शिवत्व की प्राप्ति पाता है । सत, रज और तम, श्रृष्टि के ये तीनों गुण इसी नगरी में निहित हैं।
पुराणों के अनुसार कई वर्षों की घोर तपस्या के बाद जब महादेव ने भगवान विष्णु को संसार के संचालन का वरदान दिया था, वो जगह यही महाश्मशान है, इतना ही नहीं यही पर शिव ने मोक्ष प्रदान किया था। पूरी दुनिया में यही एक ऐसी जगह है जहाँ मनुष्य की मृत्यु को भी मंगल माना जाता है और शव यात्रा में मंगल वाद्य यंत्रों को प्रयोग किया जाता है।
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वीडियो में देखिए काशी के महाश्मशान में होली का वीडियो
भारत के अलग अलग प्रांतों में कैसे मनाई जाती है होली
अलग अलग देशों में भी मनाई जाती हैै होली
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