Shani in Seventh house in birthchart in hindi: वैदिक ज्योतिष में जन्मकुंडली के सातवें भाव (Seventh house in birthchart) को युवती भाव के नाम से भी जाना जाता है। यह घर जातक की कुंडली में मुख्यत: विवाह और वैवाहिक जीवन का कारक है। किसी जातक की कुंडली के सातवे भाव (Seventh house of Birthchart) को देखकर उसके विवाह के समय, वैवाहिक जीवन, पति या पत्नी से मिलने वाले सुख के बारे में पता लगाया जा सकता है। खुलासा डॉट इन में जानिए शनि के सांतवे भाव में होने के प्रभाव।
किसी जातक की कुंडली में यदि सातवां भाव (Seventh house) शुभ ग्रहों के प्रभाव में है तो ऐसे जातक का वैवाहिक जीवन आमतौर पर सही चलता है। जातक को अपनी पत्नी या पति के माध्यम से जीवन में बहुत सहयोग, समर्थन और खुशी मिलती है। वहीं दूसरी ओर यदि जातक का सातवां भाव खराब ग्रहों के प्रभाव में आए जाए तो जातक के जीवन में तरह तरह के लड़ाई झगड़े बने रहते हैं कई बार ये पति या पत्नी में अलगाव की वजह भी हो सकते हैं।
चूंकि सातवां भाव व्यवसाय और साझेदारी का भी है तो इस भाव से व्यक्ति के व्यवसाय में प्रगति के बारे में भी ज्ञात होता है। कुंडली का सातवां घर शरीर में मुख्य तौर पर जननांगों का कारक होता है। यह भाव बुरे प्रभाव में आने पर जातक को जननांगों से संबंधित रोग या गुप्त रोग भी देते हैं।
जन्मकुंडली के सातवें भाव में स्थित शनि का फल (Shani in Seventh house in birthchart )
वैदिक ज्योतिष (Vedic Jyotish) में माना जाता है कि सातवें भाव में स्थित शनि (Seventh house Saturn) आमतौर पर जातक को अच्छे फल नहीं देता। सातवें भाव में स्थित शनि (Shani) पति पत्नी के सुख, साझेदारी और व्यवासय पर सामान्यत: मंदा असर ही करते हैं। यहां स्थित शनि के कारण जातक के बचपन में उसके माता और पिता को कई तरह के कष्ट का सामना करना पड़ता है।

सांतवे घर में स्थित शनि (Shani in Seventh house) दाम्पत्य जीवन में किसी न किसी प्रकार की अड़चन पैदा कर देते हैं, कभी जीवनसाथी मनमाफिक न मिलने के कारण अनबन बनी रहती है और व्यक्ति जीवनभर दाम्पत्य सुख से वंचित ही रह जाता है। यहां स्थित शनि कई बार जातक के मन में सन्यासियों जैसा भाव उत्पन्न करते हैं जिससे जातक अविवाहित रहने की ही ठान लेता है। शनि की यह स्थिति कई बार दो विवाह का कारण भी बन जाती है।
जातक की कुंडली के सांतवे भाव (Saturn in seventh house) में स्थित शनि जातक को कई तरह की समस्याए देते हैं, जातक के शरीर में कोई न कोई रोग लगा रही रहता है। ऐसे जातकों के दिमाग में हमेशा एक अजीब सी घबराहट बनी रहती है और संतान को कोई न कोई कष्ट लगा रहता है जिससे जातक का मन अधिकतर अशांत बना रहता है।
शनि (Shani) की यह स्थिति जातकों को विदेशी काम या विदेशी माल के एजेंट का काम दिलवाती है जिससे जातक को लाभ होता है। ऐसे जातकों को ठेकेदारी, कोयला, लोहा, खदानों से जुड़े काम में भी लाभ की प्राप्ति होती है। जातक शिक्षक, अध्यापक या एकाउंटेंट जैसे कामों को करके भी अपना जीवन आराम से चला सकता है।
कुंडली के अन्य भावों में शनि का फल देखें
जन्मकुंडली के प्रथम भाव में शनि का फल (shani in 1st house in kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के द्वितीय भाव में शनि का फल (Shani in 2nd house in Kundli(Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के तृतीय भाव में शनि का फल (Shani in 3rd House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में शनि का फल (Shani in 4th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के पंचम भाव में शनि का फल (Shani in 5th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के षष्ठ भाव में शनि का फल (Shani in 6th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के अष्टम भाव में शनि का फल (Shani in 8th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के नवम भाव में शनि का फल (Shani in 9th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के दशम भाव में शनि का फल (Shani in 10th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के एकादश भाव में शनि का फल (Shani in 11th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के द्वादश भाव में शनि का फल (Shani in 12th House in Kundli (Vedic Astrology))