Shani in twelvth house in birth chart in hindi: किसी भी जातक की कुंडली में बारहवे भाव (Twelvth house) को व्यय स्थान या व्ययभाव भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष (Vedic Jyotish) में इस स्थान का बड़ा महत्व है। कुंडली के बाहरवें घर से किसी भी जातक के खर्चे, शय्यासुख, अस्पताल, कारावास, विदेशगमन आदि को देखा जाता है। कुंडली का यही भाव व्यक्ति के जीवनकाल के बाद मोक्ष का कारक है।
किसी भी जातक की कुंडली में यदि बारहवां घर (Twelvth house) शुभ ग्रहों से द्रष्ट हो या उसमें शुभग्रहों की उपस्थिति हो तो जातक का अत्याधिक खर्चा शुभ कार्यों में होता है। बारहवां घर बलहीन होने पर या इसपर पाप ग्रहों की दृष्टि होने पर जातक का बहुत सा पैसा बेकार के कामों, अस्पताल, जेल कारावास में खर्च होता है। चूंकि बारहवां घर शय्या सुख का भी ऐसे में यदि यह भाव किसी भी तरह से पाप प्रभाव में आता है तो जातक की रात्रि की नींद बाधित होती है। आइए जानते हैं खुलासा डॉट इन में बारहवें भाव में विराजमान शनि जातक को कैसा फल प्रदान करते हैं।
जन्मकुंडली के बारहवें भाव में स्थित शनि का फल (Shani in Twelvth house in birthchart )
जिस भी जातक की जन्मकुंडली में शनि बारहवें (Shani in Twelvth house) भाव में विराजमान होते हैं ऐसे जातक आमतौर पर बड़े बड़े दान और यज्ञ करने में रुचि लेते हैं। शनि की यह स्थिति जहां जातक को दयालु और त्यागी बनाती है, वहीं जातक एकदम एकांतप्रिय होता है। बारहवें भाव में स्थित शनि (Saturn in twelvth house) होने पर जातक अपने शत्रुओं को सहज ही परास्त कर देता है।

व्ययभाव में विराजमान शनि जातक को ज्योतिषीय और आध्यात्मिकता की समझ तो देते हैं साथ ही ऐसे जातकों का संबंध अस्पताल, जेल, कारावास या किसी प्रकार के अनाथालय से भी कराते हैं। ऐसे जातक गुप्त रीति से धन संचय करते हैं। यह स्थिति जातक को छोटे कामों से धन संचय की ओर भी संकेत देती है।
द्ववादश भाव में स्थित शनि (Shani in Twelvth house in birthchart ) के लिए वैदिक ज्योतिष (Vedic Jyotish) में कहा गया है कि ऐसे जातक आमतौर पर वकील, नेता यो ज्योतिषी हो सकते हैं। ऐसे जातक समाज में कुछ ऐसा काम करते हैं जो सामान्यता लोगों की समझ में नहीं आता। बारहवें भाव में स्थित शनि कई बार जातकों को निर्लज्ज, कठोर, कपट, झूट और ठगी के माध्यम से भी धन प्रदान करते हैं। कई बार देखने में आया है कि ऐसे जातकों का कोई अंग भंग या उनके शरीर के किसी अंग में कष्ट भी हो सकता है।
ज्योतिषीय ग्रंथों में कहा गया है कि ऐसे जातकों को जिनके बारहवें भाव में शनि (Shani in Twelvth house) उपस्थित हो जहां तक संभव हो मांस मदिरा और कुंसगति से दूर रहना चाहिए। शनि की यह स्थिति कई बार जातक को उन्मादी, नेत्ररोगी या किसी प्रकार का रक्तविकार भी देती है। चूंकि बारहवा भाव को व्ययभाव भी कहा जाता है ऐसे में जातकों को चाहिए कि यदि शनि उनकी कुंडली के बारहवें भाव में स्थित हैं तो जहां तक संभव हो धनसंचय की आदत डाल लें और लोगों से प्रेम और सद्भभाव बनाए रखें तभी शनिदेव (Shanidev) की कृपा उनपर बनी रहेगी।
कुंडली के अन्य भावों में शनि का फल देखें
- जन्मकुंडली के प्रथम भाव में शनि का फल (shani in 1st house in kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के द्वितीय भाव में शनि का फल (Shani in 2nd house in Kundli(Vedic Astrology))
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जन्मकुंडली के तृतीय भाव में शनि का फल (Shani in 3rd House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में शनि का फल (Shani in 4th House in Kundli (Vedic Astrology))
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जन्मकुंडली के पंचम भाव में शनि का फल (Shani in 5th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के षष्ठ भाव में शनि का फल (Shani in 6th House in Kundli (Vedic Astrology))
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जन्मकुंडली के सप्तम भाव में शनि का फल (Shani in 7th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के अष्टम भाव में शनि का फल (Shani in 8th House in Kundli (Vedic Astrology))
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जन्मकुंडली के नवम भाव में शनि का फल (Shani in 9th House in Kundli (Vedic Astrology))
जन्मकुंडली के दशम भाव में शनि का फल (Shani in 10th House in Kundli (Vedic Astrology))
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जन्मकुंडली के एकादश भाव में शनि का फल (Shani in 11th House in Kundli (Vedic Astrology))
शनि का द्वादश भाव में फल | Saturn in Twelvth House in Hindi