वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल के जरिए लैब में किडनी बनाने का दावा किया है। इस उपलब्धि के बाद ट्रांसप्लांट के लिए किडनी की कमी नहीं रहेगी। गुर्दे की खराबी से पीड़ित लाखों मरीजों को इससे राहत मिलेगी। एडिनबरा विश्वविद्यालय की एक टीम ने स्टेम सेल की मदद से यह चमत्कार कर दिखाया है।
लैब में बनी इस कृत्रिम किडनी की लंबाई आधा सेंटीमीटर है। यह ठीक उतनी ही बड़ी है, जितनी भ्रूणावस्था में हाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रांसप्लांट के बाद यह विकसित होकर अपना सही आकार हासिल कर लेगी। इसके लिए गर्भ के द्रव में स्टेम सेल लिए गए, जिससे भ्रूण घिरा रहता है।
अब यह मुमकिन है कि जन्म के समय इस द्रव को इकट्ठा करके सहेज लिया जाए और जिंदगी में जब भी जरूरत हो, इससे किडनी तैयार कर ली जाए। दूसरों से ली गई किडनी अक्सर मरीजों को किडनी से मैच नहीं कर पाती, लेकिन अब इसकी नौबत नहीं आएगी। वैज्ञानिकों का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर जेनी डेबीज बताते हैं कि गर्भाशय के द्रव को सहेज कर रखना मुश्किल नहीं है।
इसका खर्च मरीज को बसरों तक डायलिसिस पर रखने के खर्च से कम होगा। अगर आपके पास यह द्रव हो तो भी किडनी तैयार की जा सकेगी, जो कि कुदरतके हाथों तैयार एक बेहद जटिल संरचना है।