ट्रेकरों और पर्वतारोहियों से गुलजार रहने वाले हॉस्टल और चाय की दुकानें खाली
-
कोरोना वायरस के चलते आधार शिविर सूना
सबसे बुरा असर पड़ेगा क्योंकि उनके पास कोई बचत नहीं
-
सरकार को पर्वतारोहण क्षेत्र ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों के प्रभावित लोगों की भी मदद करनी चाहिए
खुमजुंग, 02 अप्रैल (एजेंसी)। कोरोना वायरस का असर अब सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर भी देखने को मिल रहा है, जी हां वायरस के कहर के चलते सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट का पर्वतारोहण भी बंद करना पड़ रहा है, जिसके बाद जाने-माने स्थानीय शेरपाओं की आजीविका पर खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है।
चूँकि पर्वतारोहण के सीजन में पर्वतीय नगर खुमजुंग गुलजार रहता था परन्तु आज कल कोरोना वायरस के चलते खाली पड़ा है। सूत्रों की माने तो अब तक इस शहर में कोरोना वायरस के संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन अन्य राज्यों की सीमाओं के वैश्विक लॉकडाउन और हवाई यात्रा पर प्रतिबंध के चलते ऐसी स्थिति बन चुकी है ।
Despite the riches surrounding the highest point on Earth, the Sherpa people who live in its shadow remain poor https://t.co/w8xiYwktyN
— National Geographic (@NatGeo) January 8, 2019
ट्रेकरों और पर्वतारोहियों से गुलजार रहने वाले हॉस्टल और चाय की दुकानें खाली
खुमजुंग के शेरपा एवरेस्ट फतह में पर्वतारोहियों की मदद करते हैं। फुरबा न्यामगाल शेरपा 17 साल की उम्र से ही एवरेस्ट और अन्य पर्वत चोटियों पर चढ़ाई में पर्वतारोहियों की मदद करते रहे हैं, लेकिन अब वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनकी ही तरह सैकड़ों गाइडों और पर्वतारोहण के साहसिक कार्य से जुड़े लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है। खुमजुंग के घरों में रस्सियां और पर्वतारोहण में काम आने वाली अन्य चीजें अब भी टंगी हैं। ट्रेकरों और पर्वतारोहियों से गुलजार रहने वाले हॉस्टल और चाय की दुकानें अब खाली पड़ी हैं। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट 8,848 मीटर ऊंची है।
The Sherpa people need your help. #ElevationWeekendhttps://t.co/MOnqHIos2f
— Discovery (@Discovery) April 23, 2016
कोरोना वायरस के चलते आधार शिविर सूना
नेपाल ने 12 मार्च को सभी पर्वतीय अभियानों के परमिट निलंबित कर दिए थे और तत्काल प्रभाव से अपनी पर्वत चोटियों के आरोहण को बंद कर दिया था। शेरपाओं और गाइडों का कहना है कि पर्वतारोहियों का मार्गदर्शन करना ही उनकी एकमात्र आजीविका है। अप्रैल के शुरू से मई के अंत तक चलने वाले एवरेस्ट सीजन में की गई कमाई से उनके परिवारों का सालभर का खर्च चल जाता था। कोरोना वायरस के चलते आधार शिविर सूना पड़ा है। नामचे बाजार भी सूना पड़ा है जो पर्वतरोहण अभियान बिन्दु से पहले पड़नेवाला अंतिम नगर है। पोर्टर, कुक और अन्य लोग भी आजीविका पर मंडराते खतरे से चिंतित हैं।
सबसे बुरा असर पड़ेगा क्योंकि उनके पास कोई बचत नहीं
शेरपा पेम्बा गालजेन ने कहा कि सीजन रद्द हो जाने से किसी के पास काम नहीं बचा है। उड़ानों से लेकर दुकानों और पोर्टरों तक कोई काम नहीं है। हर कोई अपने घर लौट रहा है। एवरेस्ट अभियान से जुड़ी टीमों का मार्गदर्शन करनेवाले गाइड डामियान बेनेगस ने कहा कि पोर्टरों और रसोई के काम से जुड़े लोगों पर सबसे बुरा असर पड़ेगा क्योंकि उनके पास कोई बचत नहीं है। इस स्थिति के चलते नेपाल के पर्यटन उद्योग पर भी बुरा असर पड़ा है जिसका देश के सकल घरेलू उत्पादन में लगभग आठ प्रतिशत का योगदान है। हालांकि, एवरेस्ट क्षेत्र के निवासी सरकार के फैसले से सहमत हैं।
सरकार को पर्वतारोहण क्षेत्र ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों के प्रभावित लोगों की भी मदद करनी चाहिए
उनका मानना है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का जोखिम वास्तविक है।रोजगार संकट का सामना कर रहे लोगों के लिए सरकार की ओर से अभी किसी आर्थिक राहत की घोषणा नहीं की गई है। नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष संता बीर लाम्बा ने कहा कि सरकार को पर्वतारोहण क्षेत्र ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों के प्रभावित लोगों की भी मदद करनी चाहिए।