ब्रिटेन में मरने वालों की संख्या 14576 के पार
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टीके को विकसित करने के लिए सरकारी कोष से 1.4 करोड़ पाउंड की निधि देने का फैसला
लोगों की जान बचाने के लिए सरकार प्रयासरत
लंदन, 18 अप्रैल (एजेंसी)। जहाँ विश्व भर में सभी कोरोना वायरस से पीड़ित है वहीँ कुछ देश इस वायरस का तोड़ निकालने में प्रयासरत है । इन देशों में ब्रिटेन का नाम भी शामिल है जहाँ कोरोना वायरस के टीके की तत्काल खोज और इसके व्यापक पैमाने पर निर्माण हेतु कार्यबल गठित कर दिया गया है। ब्रिटेन में इस वायरस से मरने वालों की संख्या में 847 का इजाफा हुआ है जिसके बाद कुल मरने वालों की संख्या 14,576 के पार पहुँच गयो है । देश में ऐसा भयावह स्थिति देखने के बाद ब्रिटेन के व्यापार मंत्री आलोक शर्मा ने कहा कि सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वेलेंस के नेतृत्व में नया वैक्सीन टास्कफोर्स कारोबार, उद्योग और शोध-शिक्षण क्षेत्र के बीच सहयोग है।
टीके को विकसित करने के लिए सरकारी कोष से 1.4 करोड़ पाउंड की निधि देने का फैसला
उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य टीका विकसित करने, उद्योगों और शोध संस्थानों तक संसाधन एवं सहयोग पहुंचाने और इसके निर्माण में आ रही किसी बाधा को हटाने के लिए नियमों की समीक्षा के प्रयासों के बीच समन्वय बिठाना है। भारतीय मूल के कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हम कोई तारीख नहीं बता सकते कि टीका कब तक तैयार हो जाएगा। लेकिन हम ऐसे देश में रहते हैं जहां अग्रणी विज्ञान का समृद्ध इतिहास है और सरकार का हमारे वैज्ञानिकों का समर्थन करने के साथ ही इसे जल्द से जल्द संभव बनाने की बहुत संभावना है। शर्मा ने 21 नये अनुसंधान परियोजनाओं की भी घोषणा की है जिन्हें इलाज के तरीके एवं टीके विकसित करने के लिए सरकारी कोष से 1.4 करोड़ पाउंड की निधि दी जाएगी।
लोगों की जान बचाने के लिए सरकार प्रयासरत
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के वैज्ञानिक कोरोना वायरस से लड़ने, लोगों की जान बचाने के लिए टीका खोजने का तेजी से प्रयास कर रहे हैं। हम उनके प्रयासों में मजबूती से उनके साथ खड़े हैं। शर्मा ने कहा कि वैक्सीन टास्कफोर्स संभावित नये टीके के विकास एवं निर्माण को तेजी से आगे बढ़ो के प्रयासों में समन्वय बिठाने में अहम है ताकि हम सुनिश्चित कर सकें कि मरीजों के लिए यह जल्द से जल्द बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो सके। इसके अलावा ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में एक अनुसंधान के तहत मलेरिया रोधी दवा पर परीक्षण किया जा रहा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह उच्च जोखिम वाले समूहों में लोगों पर कोविड-19 के प्रभावों को कम कर सकता है या नहीं। पूरे ब्रिटेन के जनरल प्रैक्टिश्नर (जीपी) सर्जरी को इस अभूतपू्र्व परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।