वर्ष 1923 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाला था | हमेशा की तरह प्रत्याशियों की स्थिति जानने के लिए चुनावी सर्वे करवाये गये थे परन्तु सर्वे के नतीजे ने सभी हिला कर रख दिया था क्योंकि पहले विश्वयुद्ध के बाद देश के बदलते हालात के बीच एक उद्योगपति दावेदार की अप्रत्याशित ढंग से लोकप्रियता बढ़ रही थी तथा उम्मीद की जाने लगी कि यदि यह व्यवसायी चुनाव जीतता है तो अमेरिका का वर्तमान और भविष्य दोनों बदल जायेंगे |
बीते साल, अमेरिका राष्ट्रपति के चुनाव में जब एक उद्योगपति डोनाल्ड ट्रंप इस दौड़ में शामिल हुए तो उस वक़्त अमेरिकी मीडिया अतीत की एक घटना का जिक्र करने लगी कि एक बार फिर इतिहास अपने आपको दोहराने जा रहा है | अतीत का वो उद्योगपति कोई और नही, बल्कि आधुनिक कारों के जनक कहे जाने वाले हेनरी फोर्ड थे |
फोर्ड मोटर कंपनी की स्थापना
हेनरी के पिता चाहते थे कि हेनरी एक किसान बने जो कि हेनरी को नागवारा था अत: वो घर छोड़कर भाग गए | इन्होने 1891 में थॉमस एडिसन की कंपनी में बतौर इंजीनियर नौकरी करते हुए 1896 में हेनरी ने अपनी पहली चार पहियों की गाड़ी तैयार कर ली थी, तथा उनकी इस उपलब्धि के लिए थॉमस एडिसन ने जमकर सराहा था | 16 जून 1903 को हेनरी ने फोर्ड मोटर कंपनी की स्थापना की और इसके बाद हेनरी फोर्ड ने कभी पलटकर पीछे नहीं देखा |
कर्मचारियों का ख्याल रखना
उनका मानना था कि जब तक कामगार पर दबाव कम नहीं किया जायेगा, तब तक उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ने सुधार नही हो सकता और इसी सोच के चलते उन्होंने मूविंग असेंबली लाइन को विकसित किया, जिसके सहारे मजदूरों को काम तक नहीं, बल्कि मशीनों के जरिए काम उन तक पहुँचाया जाता था | जिसके परिणामस्वरूप फैक्ट्री के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने में मजदूरों की खर्च होने वाली ऊर्जा बचने लगी और उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार भी आने लगा |
फैक्ट्री के बाहर भी फोर्ड अपने कर्मचारियों की निजी जिंदगी की खूब परवाह करते थे इसीलिए उन्होंने एक ऐसी समिति बना रखी थी जिसका काम सिर्फ यही था कि वह फोर्ड के कर्मचारियों के जीवन स्तर, बच्चों के स्वास्थ्य और उनकी पारिवारिक जिम्मेदारियों तक पर नज़र रख कर उसे सुधारने के सुझाव दे | उस समय में मजदूरों का मेहनताना न के बराबर हुआ करता था, मगर उस वक़्त भी फोर्ड के मजदूरो की दिहाड़ी पांच डॉलर प्रतिदिन थी | चूँकि फोर्ड का मानना था कि जो लोग कार बनाते हैं, वे भी कम से कम इस लायक होने चाहिए कि इसे खरीद भी सकें |
शांति का जहाज व मूर्खों का जहाज
हेनरी फोर्ड, सिर्फ पिछड़ों और मजदूरों का ही ध्यान नही रखते थे, बल्कि फोर्ड विश्व में शांति के पक्षधर भी थे | उन्होंने यूरोप में पहले विश्वयुद्ध के समय अपने साथ एक प्रतिनिधिमंडल, जिसमे 63 शांति समर्थकों, 54 पत्रकार और चार बच्चे थे, को साथ ले जाकर शांति स्थापित करने का प्रयास किया था तथा जिस जहाज में ये प्रतिनिधिमंडल गया था उसे इतिहास के पन्नो में ‘Peace ship’ (शांति का जहाज) के नाम से जाना जाता है | उनके इस सराहनीय कदम पर न्यूयॉर्क टाइम्स ने मुख्य पृष्ठ पर ‘क्रिस्मस के दिन विश्वयुद्ध खत्म होगा, फोर्ड युद्ध रोकेंगे’ शीर्षक से एक खबर भी प्रकाशित की थी, परन्तु यूरोपीय मीडिया ने इस प्रयास का और फोर्ड का खूब मजाक उड़ाया था | लंदन स्टैण्डर्ड ने इस जहाज को ‘प्रो जर्मन पीस क्रूज’ तथा कई अखबारों ने इसे ‘शिप ऑफ फूल्स‘ (मूर्खों का जहाज) का नाम भी दिया था, जिससे आहत होकर कुछ ही दिनो बाद फोर्ड वापस अमेरिका चले गए थे |
सीनेट का चुनाव
1918 में फोर्ड ने राष्ट्रपति विल्सन के कहने सीनेट का चुनाव लड़ा तथा बिना किसी कैंपेनिंग के उन्हें जनता का भरपूर समर्थन भी मिला था, परन्तु फोर्ड मामूली अंतर से चुनाव हार गये थे, मगर फोर्ड की हार के के बाद भी उनके समर्थकों का हौसला कम नहीं हुआ | ऐसा कहा जाता है कि इस चुनाव के बाद फोर्ड की लोकप्रियता और बढ़ गयी थी और माना जाने लगा कि अमेरिका की जनता फोर्ड को अपने अगले राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहती थी | 1924 में जब फोर्ड के राष्ट्रपति पद की दावेदारी की खबरें सामने आयी तो उनके समर्थकों ने देशभर में फोर्ड-फॉर-प्रेसिडेंट क्लबों की स्थापना कर दी और फोर्ड के लिए चुनावी जनसमर्थन जुटाने लगे |
आम जनता की पहली पसंद
मीडिया से रु-ब-रु होने समय भी फोर्ड हर बात ध्यान रखकर बोलते थे ताकि उनकी बात आम आदमी तक पहुंच सकें | जहां तक अमेरिकी राजनीति की बात है तो उनका कहना था कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक, दोनों दलों के नेता सिर्फ अपने निजी हितों के गुलाम हैं. इन बयानों से आम लोगों को इस बात का पूरा यकीन हो गया था कि सिर्फ फोर्ड ही हैं जो उन्हें देश में फैले भ्रष्टाचार से मुक्त करवा सकते है | इस बात से चिंतित हो कर अमेरिकी कांग्रेस के एक सदस्य ने शिकायत की कि गरीब किसान दिनभर रट लगा रहे हैं कि ‘जब फोर्ड आएंगे….जब फोर्ड आएंगे, मानो पृथ्वी पर क्राइस्ट दुबारा आ रहे हैं|’ फोर्ड की लोकप्रियता को देखते हुए कोलियर्स नाम की मैग्जीन ने घर-घर सर्वे करवाया जिसके अनुसार फोर्ड को 34 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा था जो तब के हिसाब से स्पष्ट बहुमत था, जबकि तत्कालीन राष्ट्रपति वारेन हार्डिंग को सिर्फ 20 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा था |
जर्मन ईगल के ग्रांड क्रॉस सम्मान
यहूदी विरोधी विचार धारा वाले हेनरी फोर्ड एक मात्र ऐसी अमेरिकी थे जिन्हें हिटलर प्रेरणा स्त्रोत मानने के साथ साथ पसंद भी करते थे, जिसका जिक्र हिटलर ने अपनी आत्मकथा ‘मीन काम्फ’ में भी किया हुआ है तथा 1937 में सार्वजनिक मंच पर हिटलर ने इस बात को स्वीकारा भी था | हिटलर ने अपने 75वें जन्मदिन पर हेनरी फोर्ड को जर्मनी की तरफ से ‘जर्मन ईगल के ग्रांड क्रॉस’ सम्मान से नवाजा जो कि उस वक़्त किसी गैर-जर्मन को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान था | इसका एक कारण ये भी माना जाता है कि दोनों की विचारधारा एक जैसी थी |