Government schemes for farmers in india in hindi : भारत सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाओं पर कार्य कर रही है तथा किसानो को भी इन योजनाओ की जानकारी होनी चाहिए। इन योजनाओ में प्रमुख सॉयल हेल्थ कार्ड (एसएचसी) योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई (PKSY) योजना आदि है ।
सॉयल हेल्थ कार्ड (SHC) योजना
सॉयल हेल्थ कार्ड (SHC) योजना के अंतर्गत अपनी भूमि की मिट्टी में उपलब्ध बड़े – छोटे पोषक तत्वों का पता लगाकर किसान उर्वरकों का सही प्रयोग व चयन कर सकते है तथा ऐसे मिट्टी की उर्वरता भी बढाई जा सकती है । जिसका उदहारण नीम कोटिंग वाले यूरिया का इस्तमाल है | इसके इस्तमाल से यूरिया के इस्तेमाल को नियंत्रित किया जा सकता है ।
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
देश में जैव कृषि को बढ़ावा देने के लिए उम्मीद है कि जल्द ही परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) को लागू किया जा सकता है जिसके तहत मिट्टी की सेहत और जैव पदार्थ तत्वों को सुधारने के साथ साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
2016 खरीफ के मौसम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को लागू किया गया था । इस योजना की खासियत यह है कि यह कम प्रीमियम में किसानों को उपलब्ध हो जाती है। इस योजना के तहत सरकार 3 लाख रुपये तक के अल्प अवधि फसल ऋण पर 3 प्रतिशत दर से ब्याज रियायत प्रदान करती है जबकि वर्तमान में 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर से यह ऋण उपलब्ध है ।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई (PKSY) योजना
सिंचाई वाले क्षेत्रो को बढ़ाया जा सके इसके लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई (पीएमकेएसवाई) योजना को लागू किया गया है ताकि सिंचाई की व्यवस्था हो, पानी की बर्बादी कम हो, पानी का बेहतर इस्तेमाल हो सके।
राष्ट्रीय कृषि विपणन योजना (E-NAM)
14 अप्रैल 2016 को राष्ट्रीय कृषि विपणन योजना की शुरूआत की गई थी, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर ई-विपणन मंच की शुरूआत कर के देश के 585 नियमित बाजारों में मार्च 2018 तक ई-विपणन की सुविधाये प्राप्त हो सकेगी। 13 राज्यों के 455 बाजारों को अब तक ई-एनएएम से जोड़ा दिया गया है। इस योजना से ‘एक राष्ट्र एक बाजार’ की दिशा में बढ़ावा मिल सकेगा।
ब्याज रियायत योजना 2016-17
प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसानों को राहत देने ब्याज रियायत योजना शुरू की गयी जिसमे 2 प्रतिशत की ब्याज रियायत पहले वर्ष के लिए बैंकों में उपलब्ध करायी जाती है । किसानों द्वारा मजबूरी में अपने उत्पाद बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें अपने उत्पाद भंडार गृहों की रसीद के साथ भंडार गृहों में रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे छोटे और मझौले किसानों को ब्याज रियायत का लाभ मिलेगा, जिनके पास फसल कटाई के बाद के 6 महीनों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड होंगे।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY)
इस योजना के अंतर्गत राज्य में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार राज्यों की जरूरतों के मुताबिक राज्यों में इस योजना को लागू कर सकेगी | राज्यों को उऩकी जरूरतों, प्राथमिकताओं और कृषि-जलवायु जरूरतों के अनुसार योजना के अंतर्गत परियोजनाओँ/कार्यक्रमों के चयन, योजना की मंजूरी और उऩ्हें अमल में लाने के लिए लचीलापन और स्वयत्ता प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)
NFSM योजना के अंतर्गत किसानों को बीजों के वितरण (एचवाईवी/हाईब्रिड), बीजों के उत्पादन (केवल दालों के), आईएनएम और आईपीएम तकनीकों, संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकीयों/उपकणों, प्रभावी जल प्रयोग साधन, फसल प्रणाली जो किसानों को दिया जायेगा।
राष्ट्रीय तिलहन और तेल (NMOOP) मिशन कार्यक्रम
2014-15 से लागू राष्ट्रीय तिलहन और तेल मिशन कार्यक्रम का उद्देश्य तिलहनों का उत्पादन और उत्पादकता को बढाकर खाद्य तेलों की घरेलू जरूरत को पूरा करना है। इससे जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों को राज्य कृषि/बागवानी विभाग के जरिये लागू किया जा रहा है।
बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन (MIDH)
2014-15 से फलों, सब्जियों के जड़ और कन्द फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंध वाले वनस्पति,नारियल, काजू, कोको और बांस सहित बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए केन्द्र प्रायोजित यह योजना चल रही है। इस मिशन में ऱाष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और बागवानी के लिए केन्द्रीय संस्थान, नागालैंड को शामिल कर दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य
इसके अंतर्गत गेहूं और धान की खरीद की जाती है तथा सरकार ने कृषि और बागवानी से जुड़ी उन वस्तुओं की खरीद के लिए बाजार हस्ताक्षेप योजना लागू की है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है, हालाकि ऐसा सरकार ने राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों के अनुरोध पर किया था । बाजार हस्ताक्षेप योजना उन फसलों की पैदावार करने वालों को संरक्षण प्रदान करने के लिए लागू की गई है, जिसके चलते अच्छी फसल होने पर मजबूरी में कम दाम पर अपनी फसलों को न बेचा जाए । सरकार ने पिछले वर्ष भी दालों और तिलहनों के मामले में न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर बोनस देने की पेशकश की थी।
सरकार के नेतृत्व में किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु बाजार संबंधी अन्य हस्तक्षेप जैसे मूल्य स्थिरीकरण कोष और भारतीय खाद्य निगम का संचालन भी किया जा रहा है ।