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योग के साधारण आसनों का प्रयोग कर रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाना संभव
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खानपान के साथ नियमित रूप से योग किया जाय तो इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता
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साधारण योगासनों के लिये बहुत अधिक स्थान की भी आवश्यकता नहीं
नई दिल्ली, 13 मई (एजेंसी)। विश्व में कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहे देशों में भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। चार माह से अधिक समय हो जाने के बावजूद यह महामारी लगातार बढती ही जा रही है, जिसका कारण कोविड-19 वायरस है जिस पर विश्व में उपलब्ध कोई भी वैक्सीन या औषधि अपना असर दिखाने में नाकामयाब रही है ।चूँकि यह महामारी संक्रिमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैलती है, ऐसे में इस संक्रमण को रोक पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । चिकित्सा प्रणाली लगातार इस बात का ज़िक्र कर रही है कि सामाजिक दूरी यानी कि सोशल डिस्टेंसिग का पालन करने के साथ साथ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना भी बेहद जरुरी है । इसी विषय पर चर्चा करते हुए दिल्ली संस्कृत अकादमी ने अपनी बात रखते हुए समझाने का प्रयास किया है कि आम लोगों को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये किस प्रकार से खानपान या योग आदि विधियों से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये प्रेरित करें।
ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ल सरकार द्वारा कोविड -19 विषाणु की सुरक्षा के लिये योग की दृष्टि से उपाय विषय पर आयोजित एक लाईव वीडियो कोन्फ्रेसिंग में संचालन करते हुये अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट ने व्यक्त किये। डॉ. भट्ट ने आगे कहा कि स्वास्थ्य के प्रति संस्कृत-साहित्य में बहुत वर्णन किया गया है। योग के साधारण आसनों का प्रयोग कर हम अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं। इन आसनों में पा्रणायम, कपाल भाति जिसमें श्वास को धीरे-धीरे अन्दर लेते हैं तथा छोड़ते बहुत तेजी हैं। इसमें श्वास अन्दर लेते हुए पेट बहार तथा श्वास को छोडते हुये पेट पेट अन्दर करते हैं। इस प्रकार से इस प्रक्रिया को कई बार किया जाता है। इससें प्रतिरोधक क्षमाता बढती है और इस बीमारी से बचा जा सकता है।’
विडियो कोनफ्रेसिंग के माध्यम से लोगों कोा जागरूक बनाये रखने के लिये योग के विशेषज्ञों को लाईब जोडा गया था जों इस विडियो कोन्फ्रेसिंग को लाईब देखने वाले दर्शकों को योग के माध्यम से अपने को स्वस्थ रखने के योग बता रहे थे। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के योग विभाग के अध्यक्ष प्रो. महेश सिलोडी, मोरारजी देसाई राजकीय योग संस्थान (आयुष मंत्रालय), नई दिल्ली के योग दर्शन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अर्पित दुबे तथा वक्ता के रूप में अकादमी की उपाध्यक्षा डॉ. कान्ता भटिया द्वारिका सेक्टर 21 से लाईब जुडे हुए थे। अकादमी के सचिव डॉ. जीतराम भट्ट अकादमी कार्यालय करोलबाग से इस लाईव परिचर्चा का संचालन किया।
मुख्य वक्ता श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के योग विभाग के अध्यक्ष प्रो. महेश सिलोडी ने अपने वक्तव्य में कहा कि खानपान के साथ नियमित रूप से योग किया जाय तो इस बीमारी से आसानी से बचा जा सकता है। साधारण योगासनों के लिये बहुत अधिक स्थान की भी आवश्यकता नहीं है अपने घरों में आप लोग कम स्थान पर भी इन योगासनों को कर सकते हैं। सभी योगासन शरीर को लचीला बनाने एवं प्रतिरोधक क्षमाता बढानं में सहायक होते हैं। लेकिन इनमें से कुछ आसन प्रतिरोधक क्षमाता को बढाने में बहुत सहायक होते हैं। जैसे पश्चिमोत्तन आसन, धनुरासन आदि प्राणायाम योग का आधार है ये आसन सब बीमारियों को हटाता है।
इस अवसर पर मोरारजी देसाई राजकीय योग संस्थान (आयुष मंत्रालय), नई दिल्ली के योग दर्शन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अर्पित दुबे ने कहा कि योग एक जीवन जीने की पद्धति है। हर व्रूक्ति को केवल जब रोग है तभी योग करने चाहिये। इसके लिये प्रतिदिन कुछ समय निकाल कर योग अवश्य करना चाहिये। यदि आपलोग नियमित रूप से योग करते रहे तो आपको कोई रोग होगा ही नहीं। वर्तमान सन्दर्भ जिस पर यह परिचर्चा हो रही है इस स्थिति में योग के कई आसन ऐसे हैं जो व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमाता को बढाने में बहुत सहायक होते हैं। जिसमें से सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन आदि प्रमुख है। डॉ.. दुबे ने कुछ साधारण आसनसें को लाईव करके भी दर्शकों को दिखाया कि आप इन आसन सें को आसानी से कर सकते हैं।
इस अवसर पर अकादमी की उपाध्यक्षा डॉ. कान्ता भाटिया ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के लिये अभी इतना समय है कि एहतियाती कदम उठाए जाएं। अभी हमारे पास समय है जिससे हम एहतियाती कदम उठा सकते हैं। नियमित रूप से हाथ धोने से लेकर भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से हम कोरोना वायरस से बचाव कर सकते हैं। इस परिचर्चा में कई लोग आॅन लान भाग ले रहे थे जो विषय विशेषज्ञों से अपने-अपने प्रश्न पूछ कर इस बीमारी से बचने के उपाय पूछे।