फिल्म सिलसिला में परवीन की जगह जया को दी गयी
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रंजीत का बेटा भी करेगा बॉलीवुड में डेब्यू
पुराने दिनों को याद करते है रंजीत
मुंबई 21 जुलाई (एजेंसी) सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या प्रकरण ने बॉलीवुड में नेपोटिज्म, फेवरिटिज्म, कैंप के दबदबे और गुटबाजी जैसे मुद्दों को इस कदर उछाला गया है कि ये अब रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आरोपों की मानो झड़ी लग गयी हो, हर कोई किसी न किसी को तरह से खुद को इस सब मुद्दों से प्रभावित बताने में लगे हुए है । ऐसे में मशहूर विलेन रंजीत ने इस बड़ा खुलासा किया है। एक इंटरव्यू के दौरान रंजीत ने अमिताभ बच्चन, रेखा और जया भादुड़ी स्टारर फिल्म सिलसिला को लेकर चौकाने वाली बात कही है ।
फिल्म सिलसिला में परवीन की जगह जया को दी गयी
सूत्रों के अनुसार 77 वर्षीय रंजीत ने एक इंटरव्यू के दौरान नेपोटिज्म को लेकर बड़ी बात कहीं है, उन्होंने कहा कि नेपोटिज्म पहले भी होता था और राइवलरी भी। मुझे याद है कि परवीन बाबी को सिलसिला में कास्ट किया जाने वाला था लेकिन प्रोड्यूसर को लगा कि जया बच्चन ज्यादा अच्छी लगेंगी तो परवीन बाबी को हटाकर जया बच्चन को कास्ट कर लिया गया था। उन्होंने आगे बताया कि इसी तरह शोले पहले डैनी को ऑफर हुई थी लेकिन वो बिजी थे तो रोल मुझे ऑफर किया गया लेकिन वो मेरे अच्छे दोस्त थे तो मैंने रोल ठुकरा दिया। इसके बाद रोल किसी और को मिल गया। तो, ऐसी चीजें होती रहती हैं। मैं किसी ग्रुप में नहीं था लेकिन सबके साथ अच्छी बॉन्डिंग थी। मुझे सबसे प्यार मिला।
रंजीत का बेटा भी करेगा बॉलीवुड में डेब्यू
रंजीत ने अपने बेटे चिरंजीव के बॉलीवुड डेब्यू को लेकर बताया कि बेटा आएगा। वो तैयारी कर रहा है। मैं उसकी चॉइस में ज्यादा दखलंदाजी नहीं करता। वह मुझसे ज्यादा समझदार है। पुराने दिनों को याद करते हुए रंजीत ने बताया कि उस दौरान गर्मी में स्टार्स शूटिंग करते हुए बेहद परेशान हो जाया करते थे। तब स्टार्स वैनिटी वैन शेयर किया करते थे और सब एक परिवार की तरह थे। मुझे भी काम में बहुत मजा आता था।
पुराने दिनों को याद करते है रंजीत
उन्होंने अपनी बात खत्म करते हुए बताया कि हर शूट के बाद, एक्टर्स मेरे घर में आया करते थे। चाहे धर्मेंद्र हों, जितेंद्र हों या विनोद खन्ना और कोई दूसरा एक्टर, सब मेरे घर पर आते थे। हम साथ में बैठकर खाते-पीते, खूब बातें करते और बैडमिंटन खेला करते थे। रीना रॉय पराठे बनाती थीं तो मौसमी चटर्जी फिश बनाती थीं। सेट पर भी एक्टर्स एक-दूसरे के साथ सीन डिस्कस करते थे। उस समय, राइटर्स को भी बहुत महत्व दिया जाता था, जो मैं ईमानदारी से कहूं तो मौजूदा दौर में बहुत मिस करता हूं।