Aiyaary Movie Review in hindi
फिल्म अय्यारी रिलीज से पहले तब चर्चाओ में आई थी जब आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर फिल्म के कुछ दृश्यों पर आपत्ति जाहिर की थी, हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फिल्म के प्रति नर्म बर्ताव रखा, जिसके चलते आज यह फिल्म सिनेमा घरो में रिलीज हो चुकी है | स्पेशल 26 और ए वेडनेसडे जैसी ऑफबीट सस्पेंस थ्रिलर बनाने वाले नीरज पांडे इन बार जो थ्रिलर लेकर आये है उसका नाम है अय्यारी | शुरुआत के आधे घंटे बाद ही साफ़ हो जाता है कि यह नीरज पांडे की कमजोर फिल्मों में से एक है, जिसका हर्जाना इस फिल्म को भरना पड़ेगा |
फिल्म की कहानी कर्नल अभय सिंह और मेजर जय बख्शी की है, जो आर्मी की एक स्पेशल यूनिट के लिए कार्यरत हैं। दोनों की जोड़ी शोले के जय-वीरू जैसी है, मगर इस जोड़ी में कभी कभी किसी बात को लेकर खीचा-तानी भी हो जाती है, इसके बावजूद जय कर्नल अभय को अपना गुरू मानता है। धीरे धीरे कहानी आगे बढती है और एक के बाद एक कई घटनाएँ होती चली जाती है, जिनमे जय और अभय उलझ के रह जाते हैं | डिफेंस डील, सुरक्षा के मुद्दों और राजनीति के कनेक्शन को दिखाने में फिल्म व्यस्त हो जाती है | हालाँकि फिल्म का क्लाइमेक्स काफी जानदार है, मगर तब तक या तो लोग अपनी नींद पूरी कर चुके होते हैं या फिर आधे से ज्यादा लोग सिनेमा घरो से जा चुके होते हैं |
सबसे पहले आज के निर्माता-निर्देशकों को समझना चाहिए कि हर फिल्म में नायिका का होना जरूरी नहीं है | इस फिल्म में राकुल प्रीत का किरदार जबरदस्ती ठूंसा हुआ प्रतीत होता है, जो कि फिल्म को कमजोर बनाता है | इसके बाद फिल्म की अवधि अधिक होने के कारण फ़िल्म के कई दृश्य ज़बरदस्ती खिंचे हुए लगते है, जबकि सस्पेंस थ्रिलर फिल्मो में दर्शको की सोच से पहले फिल्म का दृश्य बदल जाना आवश्यक होता है | इस बार सिद्धार्थ मल्होत्रा ने साबित किया है कि उनमे एक्टिंग स्किल मौजूद है, बस उन्हें सही मौके की तलाश है | फिल्म का मुख्य और दमदार पक्ष मनोज वाजपेयी हैं, जिन्होंने अपनी अदाकारी से फिल्म को पूरी तरह से बोर होने से बचाया है और जब जब वो आते है कुछ बेहतर ही नज़र आते है | मनोज के बाद फिल्म में कुछ देखने लायक है तो वो है सिनेमाग्राफी वर्क और सुंदर और मनलुभावन लोकेशन |
जब निर्देशक एक थ्रिलर फिल्म बना रहा है तो उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो एक फैमिली फिल्म बनाने जा रहा है, जिसे हर वर्ग के लोग देखना पसंद करेंगे | मगर फिल्म में बार बार गालियों का इस्तेमाल शायद लोगो की दूरी का कारण बने क्योंकि आज भी हम एक सभ्य समाज में जी रहे है ये बात सत्य है | 2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म को नीरज चाहते तो 2 या सवा दो घंटे की एक मज्जेदार थ्रिलर बना सकते थे, मगर एक निर्देशक अपने करियर में एक कमजोर फिल्म जरुर देता है, जिनमे नीरज पांडे की कमजोर कड़ी अय्यारी है |
Film Review of ‘Aiyaary’ With Vidit