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राजेश खन्ना की फिल्म आखिरी ख़त राजेश खन्ना की पहली फिल्म
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1969 में आई आराधना ने राजेश खन्ना के करियर में अहम किरदार निभाया
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राजेश हमेशा अपने किरदार, अभिनय और डायलॉग के लिए जाने गए
मुंबई 18 जुलाई (एजेंसी) भारतीय सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज 8वी पुण्यतिथि है। अपने फ़िल्मी सफ़र में राजेश खन्ना ने 180 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। चेहरे पर दिलकश मुस्कान और उनकी अदाकारी का ही जलवा था कि वो बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बने । 1966 में आई फिल्म आखिरी खत से राजेश खन्ना ने अपने सफ़र की शुरुवात की थी, इसके बाद उन्होंने राज, औरत, बहारों के सपने और बंधन जैसी फिल्मों में किया, परन्तु 1969 में शंक्ति सामंत की फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को ऐसा धक्का मारा कि वो कामयाबी के शिखर पर जा बैठे। राजेश खन्ना की फिल्मों में उनके अभिनय के अलावा उनकी फिल्मों के गीत-संगीत और डायलॉग्स के लिए हमेशा याद किया जायेगा ।
राजेश खन्ना की फिल्मों के सुपरहिट डायलॉग्स
- बाबू मोशाय, जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहांपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं न मैं, हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिनकी डोर ऊपर वाले के उंगलियों में बंधी है। कब कौन कैसे उठेगा, ये कोई नहीं बता सकता। (आनंद)
- बाबू मोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं… (आनंद)
- मैंने तुमसे कितनी बार कहा पुष्पा मुझे ये आंसू नहीं देखे जाते, आय हेट टियर्स (अमर प्रेम)
- एक छोटा सा जख्म बहुत गहरा दाग बन सकता है। (अराधना)
- मैं मरने से पहले मरना नहीं चाहता. (सफर)
- ये तो मैं ही जानता हूं कि जिंदगी के आखिरी मोड़ पर कितना अंधेरा है। (सफर)
- सेठ जिसे तुम खरीदने चले हो उसके चेहरे पर लिखा है नॉट फॉर सेल (अवतार)
- किसी बड़ी खुशी के इंतजार में हम ये छोटी-छोटी खुशियों के मौके खो देते हैं। (बावर्ची)
- मैंने तेरा नमक खाया है इसलिए तेरी नजरों में नमक हराम जरूर हूं। (नमक हराम)