35 साल पूरे कर चुकी ये फिल्म आज भी दर्शकों को लुभाने में सक्षम
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सबसे बड़ा प्लस पॉइंट था, इस फिल्म का मधुर संगीत
दोबारा सेंसर करके यूए सर्टिफिकेट दिया गया
मुंबई 25 जुलाई (एजेंसी) 25 जुलाई 1985 । बॉलीवुड की सिल्वर स्क्रीन पर एक ऐसी फिल्म का अवतरण हुआ, जिसने बॉलीवुड में कई सालों तक चर्चा बटोरी। फिल्म का संगीत हो या लता मंगेशकर की आवाज़ में अमर हो चुके इस फिल्म के गीत, फिल्म की कहानी हो या एक एक सीन, आज भी इस फिल्म से जुड़े एक एक भाग ने दर्शकों के दिलोदिमाग पर छाप बनायीं हुयी है। ये फिल्म थी शोमैन राजकपूर कृत राम तेरी गंगा मैली। 35 साल पूरे कर चुकी ये फिल्म आज भी दर्शकों को लुभाने में सक्षम है, हालाँकि ये फिल्म राजकपूर की आखिरी फिल्म थी, वहीँ फिल्म का निर्माण रणधीर कपूर ने किया था ।
इस फिल्म का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट था, इस फिल्म का मधुर संगीत। बताया जाता है कि रवींद्र जैन, जो कि इस फिल्म के संगीतकार है, को एक फंक्शन में कुछ पंक्तियाँ गाते सुना, पंक्तियाँ थी एक राधा एक मीरा, दोनों ने श्याम को चाहा, ये पंक्तियाँ राज कपूर को इतना पसंद आई कि उन्होंने न सिर्फ रवींद्र जैन को साइन किया, बल्कि ये पंक्तियाँ भी उनकी फिल्म के कालजयी गीत के रूप में ढल गयी ।
फिल्म राम तेरी गंगा मैली में फिल्म की नायिका गंगा के बहाने गंगा नदी का गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक का सफर और मनुष्य के चरित्र के साथ साथ गंगा के मैले होने की कहानी को कहती है। बता दे कि इस फिल्म को दो बार सेंसर किया गया था। जी हां, पहले फिल्म को यू सर्टीफिकेट के साथ ही रिलीज किया गया था, परन्तु फिल्म को दोबारा सेंसर करके यूए सर्टिफिकेट दिया गया था, जिसकी वजह थी फिल्म का गीत तुझे बुलाये ये मेरी बाहें और मंदाकिनी का एक बच्चे को दूध पिलाने वाला सीन।