स्वाथ्यकर्मियों पर हमले रोकने के लिए राष्ट्रपति ने दिया था अध्यादेश
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अध्यादेश के पहले ही दिन कोराना वाॅरियर्स के साथ की गई बदसलूकी
नई दिल्ली, 23 अप्रैल (एजेंसी)। स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हो रहे हमले को रोकने के लिए केंद्र सरकार के अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मंजूरी के पहले दिन ही दिल्ली में कोरोना वॉरियर्स को बदसूलकी का सामना करना पड़ा है। लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) में डॉक्टरों और स्टाफ के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है। एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, गुरुवार को अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कोरोना संक्रमित मरीजों के एक समूह ने उनके साथ हाथापाई की और धमकी दी।
अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि कैट्स एंबुलेंस से कोरोना मरीजों के एक समूह को जब अस्पताल में भर्ती के लिए ले आया गया तो स्टाफ ने उन्हें थोड़ी देर इंतजार करने के लिए कहा। इतना सुनते ही कोरोना मरीज हाथापाई करने लगे। इसके अलावा धमकी भी दी।
बता दें कि केंद्र सरकार डॉक्टरों के खिलाफ हो रहे हमले को रोकने के लिए बुधवार को एक अध्यादेश लेकर आयी है। राष्ट्रपति ने गुरुवार को अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने बुधवार को बताया कि 123 साल पुराने महामारी बीमारी कानून में संशोधन के बाद अध्यादेश को मंजूरी दी गई है। इसके तहत कड़ी सजा का प्रावधान है। अब इसे गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अगर कोई भी शख्स डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मारपीट करता है तो आरोपियों को पांच लाख रुपये तक जुर्माना और सात साल तक की सजा हो सकती है। यही नहीं स्वास्थ्य कर्मचारियों के वाहन या निजी संपत्ति के नुकसान पर भी आरोपित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
कोरोना के मरीज को लेकर पहुंची एंबुलेंस के कर्मियों से मारपीट
इसके अलावा कैट्स एंबुलेंस के कर्मचारियों के साथ मारपीट का भी मामला सामने आया है। आरोप है कि जब लोकनायक अस्पताल में कोरोना पीड़ित मरीज को लेकर कैट्स एंबुलेंस के कर्मचारी पहुंचे तो उनके साथ बदसलूकी की गई। एंबुलेंस के कर्मचारियों का कहना है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से डॉक्टरों ने इनकार कर दिया था।
एंबुलेंस के कर्मचारी मरीज को भर्ती कराने पर अड़े रहे। उनका आरोप है कि इसी बात को लेकर उनके साथ मारपीट की गई। उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर पर मारपीट व एंबुलेंस के साथ मौजूद महिलाकर्मी का पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट (पीपीई) किट फाड़ने का आरोप लगाया है। इस बारे में अस्पताल प्रशासन ने कोई बयान नहीं दिया है।
मरीज को आरएमएल अस्पताल से रेफर किया गया था। एंबुलेंस कर्मी उसे लेकर लोकनायक अस्पताल पहुंचे थे। कर्मचारियों का आरोप है कि मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया और कहा गया कि अस्पताल में बेड खाली नहीं है। एंबुलेंस कर्मियों ने कहा कि मरीज को यहीं छोडकर आने के लिए कहा गया है। इस बात को लेकर दोनों तरफ से बहस शुरू हो गई इस बीच अस्पताल के बाउंसर व गार्ड भी वहां पहुंच गए और एंबुलेंस कर्मचारियों से मारपीट करने लगे।