Karmveer Poem -Ayodhya Singh Upadhyay ~ कर्मवीर – अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध : कर्मवीर कविता के रचिता अयोध्या सिंह उपायध्या...
हर लफ़्ज़ तिरे जिस्म की खुशबू में ढला है ये तर्ज़, ये अन्दाज-ए-सुख़न हमसे चला है अरमान हमें एक रहा...
इसी सबब से हैं शायद, अज़ाब जितने हैं झटक के फेंक दो पलकों पे ख़्वाब जितने हैं वतन से इश्क़,...
ज़रा-सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था दिल-ए-तबाह ने भी क्या मिज़ाज पाया था गुज़र गया है कोई लम्हा-ए-शरर...
ऐ दर्द-ए-इश्क़ तुझसे मुकरने लगा हूँ मैं मुझको सँभाल हद से गुज़रने लगा हूँ मैं पहले हक़ीक़तों ही से मतलब...
लम्हा-लम्हा तिरी यादें जो चमक उठती हैं ऐसा लगता है कि उड़ते हुए पल जलते हैं मेरे ख़्वाबों में कोई...
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता: राखी की चुनौती : Hindi Poem : Subhadra Kumari Chauhan Poem Rakhi Ki Chunauti ...
Jallianwala bagh mein basant subhadra kumari chauhan यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का...
साजन! होली आई है! सुख से हँसना जी भर गाना मस्ती से मन को बहलाना पर्व हो गया आज- साजन...
ज़िन्दगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो कुछ न कुछ हमने तिरा क़र्ज़ उतारा ही न हो कू-ए-क़ातिल...
Hindi Gazal: Jaan Nisar Akhtar-Wo Aaankh Abhi Dil Ki Kaha Baat Kare Hai वो आँख अभी दिल की कहाँ बात...
फुर्सत-ए-कार फ़क़त चार घड़ी है यारो ये न सोचो कि अभी उम्र पड़ी है यारो अपने तारीक मकानों से तो...
उजड़ी-उजड़ी हुई हर आस लगे ज़िन्दगी राम का बनबास लगे तू कि बहती हुई नदिया के समान तुझको देखूँ तो...
सिर पर आग, पीठ पर पर्वत, पांव में जूते काठ के क्या कहने इस ठाठ के यह तस्वीर नई है...
भले डांट घर में तू बीबी की खाना भले जैसे -तैसे गिरस्ती चलाना भले जा के जंगल में धूनी रमाना...
हमारे पड़ोस में एक नयी नयी बहू आई. गर्मी के दिन थे, एक दिन छत पर से उसकी आवाज़ आई...
बड़की भौजी : कैलाश गौतम | Badki Bauji: Kailash gautam जब देखो तब बड़की भौजी हँसती रहती है हँसती...
भक्ति के रंग में रंगल गाँव देखा, धरम में, करम में, सनल गाँव देखा. अगल में, बगल में सगल गाँव...
गाँव गया था गाँव से भागा रामराज का हाल देखकर पंचायत की चाल देखकर आँगन में दीवाल देखकर सिर पर...
Adam Gondvi – Sau mein sattar aadmi filhaal jab naashaad hai सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद* है दिल...