There may be an increase in the prices of clothes and shoes from January 1, 2022 : Mumbai, 01 अक्टूबर (एजेंसी)। क्या आप भी है नए-नए कपड़े और जूते खरीदने और पहनने के शौकीन? अगर हां, तो ये खबर आपके लिए ही है। बता दे कि अगले साल की शुरुआत में यानी 1 जनवरी, 2022 से कपड़े और जूते की कीमतों में इजाफा हो सकता है।
दरअसल, (GST Council) ने कपड़े और जूते उद्योग (Shoes Business) के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव की लंबे समय से चली आ रही मांग को स्वीकार कर लिया है। जीएसटी काउंसिल (GST Council) ने एक जनवरी, 2022 से नया शुल्क ढांचा लागू करने की बात कही है। इसके बाद इस बात की कयास लगाए जा रहे हैं की इससे कपड़े और जूते महंगे हो जाएंगे।
पिछले महीने हुई जीएसटी काउंसिल (GST Council) की मीटिंग में कपड़े और जूते उद्योग (Clothes and Shoes business) के इनवर्टेड शुल्क ढांचे में बदलाव का फैसला किया गया। गौरतलब है कि कपड़ा और जूता उद्योग बिजनेस से जुड़े लोग लंबे समय से ढांचे में बदलाव की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि जूता बनाने के कच्चे माल पर 12 फीसदी जीएसटी (GST) है, जबकि तैयार उत्पादों पर जीएसटी केवल 5% है। इस नुकसान की भरपाई के लिए कच्चे माल पर चुकाए शुल्क को वापस किया जाना चाहिए।
ये भी पढ़े : 10 अजीबोगरीब काम जो लड़कियां अकेले में करती हैं
बता दें, अभी कपड़े और जूते उत्पादों (Cothes and Shoes products) पर 5% GST लागू है, जबकि ज्यादा महंगे जूतों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है। सरकार के इस निर्णय के बाद जनवरी से कपड़े की कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं। जीएसटी बढ़ने के बाद कपड़े- जूते के दाम बढ़ेंगे जिसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा।
दरअसल, अभी एमएमएफ फैब्रिक सेगमेंट (फाइबर और यार्न) में इनपुट पर 18 फीसदी और 12 फीसदी की जीएसटी दर लगती है, जबकि एमएमएफ फैब्रिक पर जीएसटी की दर 5 फीसदी और तैयार माल के परिधान के लिए 5 फीसदी और 12 फीसदी है। इस तरह इनपुट पर जीएसटी आउटपुट से ज्यादा होती है और इससे एमएमएफ कपड़े और कपड़ों के टैक्सेशन की प्रभावी दर बढ़ जाती है और फाइबर न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।