- इस दिन भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर संपत्ति आदि प्रदान करते हैं
- मकर संक्रांति पर तिल, कंबल, घी आदि का दान किया जाता है
- सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से ऋतु परिवर्तन होता है
नई दिल्ली 13 जनवरी (एजेंसी) ज्ञात हो कि कल मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 14 जनवरी यानी कि दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर तिल, कंबल, घी आदि का दान करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर संपत्ति आदि प्रदान करते हैं।
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बता दे कि इस बार ग्रहों के राजा सूर्य 14 जनवरी को दोपहर 08 बजकर 30 मिनट पर अपने पुत्र शनि के मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ज्ञात हो कि साल में 12 संक्रांतियां होती हैं जिनमें से सबसे खास चार होती हैं, जिनमे सबसे पहली मेष संक्रांति होती है, इसमें सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से ऋतु परिवर्तन होता है और गर्मी की शुरूआत होती है।
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मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है और मकर राशि में प्रवेश करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है। बता दे कि इस दिन उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी पर्व-महोत्सव मनाया जाता है। यहां कहा जाता है कि अक्षय पात्र (खप्पर) में शिव के रूप बाबा गोरखनाथ जी को खिचड़ी चढ़ाई जाती है, यही कारण है क मकर संक्रांति को उत्तर भारत के कुछ इलाकों में खिचड़ी के पर्व के रूप में मनाते हैं, तो कई जगह खिचड़ी दान की जाती है तो कई जगह खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत के तमिलनाडु व केरल में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं। पोंगल का पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। वहीँ मकर संक्रांति पर गुजरात लोग पतंगबाजी भी करते हैं।
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