रंग हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर रंग न होते तो हमारी दुनिया कैसे बेरंगी सी हो जाती। सारी प्रकृति रंगों से भरी पड़ी है। जहां नजर घुमाओं आपको रंग ही रंग चारों ओर दिखाई देंगे। नीला आसमान, हरे भरे पेड़ पौधे, रंगबिरेंगे झरने, रंगबिरंगी तितलियां और पक्षी। जब से सृष्टि की रचना हुई है तभी से रंग दुनिया में मौजूद हैं, लेकिन क्या आप रंगों के बारे में जानते हैं। चलिए आज आपको खुलासा डॉट इन में रंगों से जुड़ी कुछ ऐसी रोचक जानकारियों के बारे में बताएंगे जिन्हें जानकर आप सचमुच अचरज में पड़ जाएंगे।
सबसे ज्यादा पंसद किया जाने वाला रंग

आपको जानकर शायद हैरत हो मगर नीला एक ऐसा रंग है जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा पंसद किया जाता है। संसार भर के करीब चालीस प्रतिशत लोगों ने नीले रंग को अपना पंसदीदा रंग बताया है। वही चौदह प्रतिशत लोग बैंगनी रंग को अपना फेवरेट कलर बताते हैं। मनोविश्लेषकों ने शोध में इस बात का पता लगाया है कि लाल और हरा रंग भी सबसे ज्यादा पंसद किए जाते हैं लेकिन इनका नंबर दूसरे और तीसरे नंबर पर आता है। सफेद, संतरी और पीला रंग सबसे कम पंसद किए जाने वाले रंगों में से है।
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नवजात शिशु भी पहचान पाता है लाल रंग

शोधों में वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि लाल रंग एक ऐसा कलर है जिसे नवजात शिशु भी पहचान लेता है। दो हफ्ते के नवजात शिशु पर जब वैज्ञानिकों ने शोध किया तो पाया कि शिशु सबसे पहले लाल रंग को देखकर प्रतिक्रया करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि लाल रंग की वेबलेंथ सबसे ज्यादा लम्बी होती है जो बच्चे की आंखों की रेटिना तक आसान से पहुंच जाती है। शायद ही कारण है कि दो हफ्ते का नवजात शिशु भी इस रंग को पहचानने लगता है।
महिलाओं में होती है पुरुषों से ज्यादा रंगों की समझ

महिलाएं टमाटरी लाल, बरगंडी और क्रिमसन जैसे रंगों में आराम से अंतर कर पाती हैं जबकि पुरुषों को ये सभी रंग करीब करीब लाल ही दिखाई देते हैं। टेम्पी शहर के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा रंग पहचान सकती हैं, इसका कारण वे महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षाकृत अधिक जीन होना मानते हैं। शोधकर्ताओं ने माना कि पुरुष में सिर्फ एक्स क्रोमोसोम जीन होता है जबकि महिलाओं में टू एक्स क्रोमोसोम जीन पाए जाते हैं। महिलाओं में अधिक जीन होने के कारण स्त्रियों को पुरुषों के मुकाबले अधिक कलर शेड्स दिखाई देते हैं और वे इन्हें आसानी से पहचान सकती हैं।
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मन को शांत करता है गुलाबी रंग

थोड़ा चकित करने वाला है लेकिन ऐसे तथ्य पाएं गए हैं कि गुलाबी रंग शांति देने वाला रंग है। यह गुस्सा और मानसिक उन्माद को दबा देता है। अधिकतर जेलों और मानसिक चिकित्सालयों में इसी रंग को प्रयोग किया जाता है, जिससे कैदियो और मानसिक रोगियों के व्यवहार को नियंत्रित किया जा सके।
सफेद रंग का वाहन बचाता है दुर्घटनाओं से

शोधों में पाया गया है कि सफेद एक ऐसा रंग है सबसे सुरक्षित रंग है। यह ऐसा कलर है जो बर्फवारी को छोड़कर हर परिस्थति में दिखाई देता है। इसके अलावा सिल्वर कलर भी एक ऐसा ही रंग है जो भारी बारिश और धुंध के अलावा अधिकतर समय साफ दिखाई देता है। यही वजह है कि सड़कों पर सबसे ज्यादा वाइट और सिल्वर कलर की कारें नजर आती हैं। शायद आपको जानकर हैरानी हो मगर पीले कलर की गाड़ी अधिकतर लोगों को पंसद नहीं आती, जबकि पीला रंग सड़कों पर सबसे आसानी से दिखाई दे सकता है।
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लाल और पीला रंग बढ़ा देते हैं भूख

आपको जानकर हैरानी होगी मगर यह सच है कि लाल और पीला रंग भूख को बढ़ा देते हैं। यही कारण है कि मेकडॉन्लड हो केएफसी हो या बर्गर किंग अधिकतर रेस्तरां ने अपने बैनर में लाल और पीले रंग का प्रयोग किया है। शोधकर्ताओं ने यह भी माना है कि अगर आप डाइटिंग पर हैं तो आपके किचन का रंग पीला नहीं होना चाहिए क्योंकि ये कलर आपकी भूख बढ़ा देगा। वहीं नीला रंग देखने से आपकी भूख कम होने लगती है।
लाल रंग से मुर्गियों को मिलती है शांति

अगर मुर्गे और मुर्गियों को लाल रंग को रौशनी में रखा जाए तो उन्हें काफी शांति मिलती है और वे अच्छी तरह से सो पाती हैं। जब शोधकर्ताओं ने मुर्गियों को लाल रंग की रौशनी में रखा तो उन्होंने पाया कि लाल रंग मुर्गियों को काफी शांति प्रदान करता है और वे एक दूसरे को चोंच मारना बंद कर शांति से सो जाती हैं।
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रंग हमारे स्वाद पर भी डालते हैं असर

शोधों में पाया गया है कि हम किस रंग की प्लेट में खाना खा रहे हैं ये भी हमारे खाने के स्वाद को तय करता है। यानि कि प्लेट का रंग भोजन के स्वाद पर भी असर डालता है। जैसे नारंगी या क्रीम कलर की प्लेट में चॉकलेट खाना आपको किसी अन्य कलर की प्लेट में खाने के अपेक्षाकृत ज्यादा स्वादिष्ट लगेगी।
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रंगों से भी होती है चिकित्सा

जी हां, रंग हमारे शरीर में होने वाले कई प्रकार के रोगों से भी लड़ने में कारगर होते हैं, यही वह पद्धति है जिसे रंग चिकित्सा के नाम से जाना जाता है। इसमें कांच की रंगीन बोतल में पानी भरकर धूप में रखा जाता है। अलग अलग रोगों में यह पानी उपयोग में लाया जाता है बस इसमें ध्यान इतना रखा जाता है कि बोतल का रंग मरीज के रोग के अनुसार होता है। चिकित्सक मानते हैं कि जब किसी कलर की बोतल में पानी रखकर धूप में रखा जाता है तो उस पानी में उस रंग के काफी गुण आ जाते हैं, और इस पानी को पीने से कई प्रकार के रोगों का उपचार संभव हो पाता है। कृत्रिम रंगों के बारे में जानने के लिए पढ़े हमारी पोस्ट कहां से आए कृत्रिम रंग।
नीला रंग बढ़ाता है एकाग्रता वहीं लाल रंग से हो सकता है नुकसान

माना जाता है कि नीला रंग किसी भी व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है, यही वजह है कि ध्यान करने के लिए लोग नीले रंग और सफेद रंगों के वस्त्रों का प्रयोग अधिक करते हैं, वहीं दूसरी ओर लाल रंग काफी उत्तजेक होता है और अगर आप परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं तो इस रंग से दूरी बना कर रहे हैं क्योंकि यह रंग आपकी एकाग्रता को कम कर सकता है।
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मच्छरों को भी भाता है नीला रंग

मच्छरों को लाइट कलर के अपेक्षाकृत डॉर्क कलर ज्यादा लुभाते हैं। खासकर नीला रंग तो मच्छरों की पहली पंसद है। शोधों में पाया गया है कि नीले रंग की तरफ मच्छर अन्य कलर के मुकाबले ज्यादा जल्दी आकृषित होते हैं, अगर आप भी मच्छरों से बचना चाहते हैं तो नीले रंग का कम से कम प्रयोग करें। अपने घरों के पर्दे, बेडशीट और चादरें हल्के रंगों की उपयोग करें।
लाल रंग देखकर क्यों बिदक जाता है सांड
आपने देखा होगा कि बुल फाइट में एक व्यक्ति लाल रंग का कपड़ा लेकर सांड के सामने हिलाता है जिसे देखकर सांड भड़क जाता है, लेकिन शायद आपको जानकर हैरत हो कि सांड या बैल कलर ब्लांइड होते हैं, यानि कि उन्हें लाल रंग दिखाई ही नहीं देता। वो तो सामने खड़े हुए व्यक्ति की हरकत देखकर ही सांड बिदकने लगता है और उस पर हमला कर देता है। कलर से सांड को कोई फर्क नहीं पड़ता।
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रंगीन चित्र ज्यादा दिनों तक याद रहते हैं

शोधों में पाया गया है कि ब्लैक एंड वाइट के मुकाबले रंगीन चित्र लोगों के जेहन में लबे समय तक बने रहते हैं, शायद ही वजह है कि ब्लैक एंड वाइट फिल्मों के सीन लोग जल्दी भूल जाते हैं जबकि कलर फिल्मों के दृश्य लोगों को लम्बे समय तक याद रहते हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि रंग आपके सेंस को ज्यादा मजबूत अपील करते हैं, जिसकी वजह से आपका दिमाग दिखाई देने वाले रंगीन चित्र को ज्यादा समय तक याद रख पाता हैं।
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क्या वास्तव में रंग होते हैं

आप भी सोच रहे होंगे क्या अजीब बात है। रंगों पर इतना लंबा लेख लिखा और अब पूछ रहे हैं कि क्या रंग वास्तव में होते हैं, लेकिन आपको जानकर शायद अजीब लगे रंग होते ही नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि रंग सिर्फ हमारे दिमाग की उपज है। प्रकृति में तो सिर्फ प्रकाश होता है और ये जितने भी रंग हमें दिखाई देते हैं ये सिर्फ हम अपने दिमाग के कारण ही देख पाते हैं।
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सभी जंतुओं को दिखाई देते हैं रंग

जी नहीं, सभी जानवर रंग नहीं देख सकते। कुछ ऐसे जीव है जिन्हें मनुष्य के मुकाबले बहुत कम रंग दिखाई देते हैं, वही कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें मानव के मुकाबले बहुत ज्यादा रंग दिखाई देते हैं। मसलन मक्खियों और चिड़ियों के पास ऐसा कलर विजन होता है जिससे ये वो रंग भी देख लेती हैं जो एक सामान्य आदमी नहीं देख पाता। वहीं दूसरी ओर कुत्ते बिल्ली, खरगोश और चूहे ऐसे जानवर हैं जिनका कलर विजन मनुष्य के मुकाबले काफी कमजोर होता है।
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