- Nikola tesla का ये भी दावा था कि उन्होंने एक ही समय में भूत, भविष्य और वर्तमान देखा है।
- देखते ही देखते जहाज पूरी तरह से अदृश्य हो गया
- जहाज साल 1943 में गायब हुआ था जबकि वापसी के समय साल 1983 चल रहा था
- टाइम ट्रैवल (Time travel) को सुलझाने के उद्देश्य से मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने वर्ष 1915 में एक थ्योरी दी थी
नई दिल्ली, 14 मार्च। टाइम ट्रैवल (Time Travel) से तात्पर्य भूतकाल और भविष्यकाल की सैर करने से है, हालाँकि इसे काल्पनिक माना जाता है। परन्तु एक शख्स ऐसा भी जो एक मशीन की मदद से लोगों के बीच से अचानक गायब हो जाता था | ये गुत्थी आजतक लोगों के लिए एक रहस्यमयी विषय बना हुआ है। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि यूनाइटेड स्टेट के महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला (Nikola tesla) थे | इन्होने एक खास मशीन बनाई थी जिसकी मदद से टेस्ला अचानक अपनी जगह से गायब हो जाया करते थे। निकोला टेस्ला का ये भी दावा था कि उन्होंने एक ही समय में भूत, भविष्य और वर्तमान देखा है।
निकोला टेस्ला का जन्म साल 1856 में हुआ था। टेस्ला ने कई ऐसे अहम आविष्कार किये जिनसे लोगों की मदद संभव हो सकी । उनके अविष्कारों में इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स से लेकर अन्य कई आवश्यक वस्तुए है। चूँकि टेस्ला वैज्ञानिक होने के साथ साथ एक सफल मैंकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और फिजिकल इंजीनियर भी थे ।
निकोला टेस्ला का दावा था कि वो टाइम ट्रैवल में करने वाले सफल व्यक्ति में से हैं, जिसके चलते उन्होंने अपने अनुभव को लोगों तक पहुँचाने के लिए क किताब भी लिखी थी। टेस्ला ने टाइम ट्रेवल का सफल प्रयोग 4 अक्टूबर 1943 के दिन एक लड़ाकू जहाज यूएसएस-एल्ड्रिज पर किया था। इस प्रयोग को फिलाडेल्फिया डॉकयार्ड पर किया गया। इस काम में टेस्ला के साथ दूसरे वैज्ञानिकों ने भी मदद की।
कहा जाता है कि नाजियों को चकमा देने के लिए जहाज को गायब करना था जिसके चलते जहाज के चारों तरफ कई हजार वोल्ट के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कॉइल लगाए गए । इसके बाद जहाज पर लगाए हुए जनरेटर की मदद से बिजली की वोल्टेज बढ़ाई जाने लगी। जैसे जैसे बिजली साढ़े तीन मिलियन के पार पहुंचने लगी तो एक हरे रंग की रौशनी निकलने लगी और देखते ही देखते जहाज पूरी तरह से अदृश्य हो गया। इस बात की गंभीरता का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते है कि वहां पर मौजूद रडार भी इस जहाज को ट्रैक नहीं कर पाये थे ।
बताया जाता है कि इस जहाज को बाद में वर्जीनिया में देखा गया पर तब तक इस जहाज में मौजूद ज्यादातार क्रू-मेंबर्स की मौत हो चुकी थी और जो जो लोग ठीक थे उनकी दिमागी हालात खराब हो चुकी थी। माना जाता है कि ये सभी समय यात्रा करके लौटे हैं। जहाज में सफर करने वाले कुछ यात्रियों के अनुसार जहाज साल 1943 में गायब हुआ था जबकि वापसी के समय साल 1983 चल रहा था । गुत्थी बन चुकी टाइम ट्रैवल को सुलझाने के उद्देश्य से मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने वर्ष 1915 में एक थ्योरी दी थी, जिसे थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के नाम से जाना जाता है । इस थ्योरी में समय और गति के बीच के संबंध को समझाया गया है ।